
प्रतिबंध
इन वाहनों (ई-रिक्शा और ई-कार्ट्स)
के खिलाफ दायर की गई जनहित
याचिका पर हाई कोर्ट ने 31 जुलाई को इन पर पाबंदी लगा दी थी.

यह रोक एक जनहित याचिका (पीआईएल)के तहत लगाई गयी थी जिसमें कहा गया
था कि यह चार बैटरीज से ऑपरेटेड ई-रिक्शा चार लोगों को ले जाने के लिए डिजाइन हैं
परन्तु ज्यादातर ई-रिक्शा चालक कम से कम 5-6 यात्री ले जाते हं इसके अतिरिक्त इस वीइकल्स
से यात्री-जोखिम भी बढ़ जाता है और यात्री दुर्घटना होने की स्थिति में किसी
प्रकार के इंश्योरेंस का क्लेम भी नहीं कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उन नियमों
में भी संशोधन करने का आदेश दिया था, जिसके तहत इन वीइकल्स
को मोटर व्हीकल एक्ट 1989 के प्रावधानों से छूट मिली हुई थी.
प्रतिबन्ध का प्रभाव
इस फैसले से दिल्ली में करीब 2 लाख ई-रिक्शाचालक के साथ उसके निर्माता उद्यमी प्रभावित हुए थे. इससे
ई-रिक्शा चालकों की रोटी-रोजी छीन गयी थी और वह अन्य काम या साधारण रिक्शा चलाने
के लिए मजबूर हो गए थे. इससे उनकी आमदनी काफी कम हो गयी थी. सबसे बड़ी मुसीबत उनके
लिए थी जिन्होंने लोन पर ई-रिक्शा खरीद रखा था.ऐसे में सरकार का यह कदम काफी राहत
पहुचाने वाला है.
नए नियम के अनुसार
संशोधित कानून के मुताबिक ई-रिक्शा चालक को ई-रिक्शे पर केवल चार यात्रियों को बिठाने के साथ 40 किलो तक सामान ले जाने की इजाजत होगी. ई-रिक्शा के मोटर का पावर 2,000
वाट से ज्यादा और इसकी स्पीड 25 किलोमीटर
प्रति घंटे से अधिक नहीं होगी. इसके अलावा, ई-रिक्शा और
ई-कार्ट्स को रजिस्ट्रेशन मार्क डिस्प्ले करने से जुड़ी सभी जरूरतों, लेटर्स के साइज, ट्रांसफर ऑफ ओनरशिप, सर्टिफिकेट ऐंड फिटनेस की वैधता का पालन करना होगा.
राज्य सरकारें अब संशोधित नियमों के मुताबिक इन वीइकल्स को रजिस्टर
करेंगी. इन वीइकल्स में से ज्यादातर दिल्ली, उत्तर प्रदेश,
पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में ही चल रहे हैं. ई-रिक्शा और
ई-कार्ट्स को अब ऑटोमोबाइल लैंप, व्हील रिम्स, इंस्टॉलेशन, लाइटिंग और लाइट सिग्नलिंग डिवाइसेज के
परफॉर्मेंस के मामले में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के स्टैंडर्ड्स का पालन करना पड़ेगा.
'ई-रिक्शा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और
अल्पसंख्यक वर्ग के गरीबों के लिए मददगार होने के साथ-साथ अंतिम छोर पर रहने वाले
यात्रियों के लिए भी फायदेमंद हैं. यह प्रदुषण मुक्त परिवहन सुविधा उपलब्ध करा कर
भारत को प्रदुषण मुक्त रखने में भी सहायक है. यदि सरकार सभी ऐतिहासिक जगहों और
विश्वविद्यालय परिसर में इनके चालन को सुनिश्चित करने का प्रयास करे तो यह सराहनीय
कदम होगा.
No comments:
Post a Comment