यादव सिंह जैसे अधिकारी और कर्मचारी तो देश के हर नगर निगम और प्राधिकरण में हैं, लेकिन वे जल्दी पकड़ में नहीं आते हैं और ना ही आज तक उनको शह देने वाले संभ्रांत लोग ही पकड़े गए हैं. किसी भी विभाग में यादव जी हों और उनके कर्मचारियों या समकक्षियों को इसकी भनक ना हो यह मुश्किल हैं. यादव जी बिना राजनीतिक संरक्षण या लेन-देन के हजार करोड़ की संपत्ति भी नहीं बना सकते थे. परन्तु हम यादव जी के ही पीछे पड़े हैं उनकों हजार करोड़ के आंकड़ों पर पहुचाने वाले लोगों की बात भी नहीं कर रहे हैं. यह भी सवाल बना हुआ है की बिना योग्यता के वे कैसे प्रोमोट होते रहे और क्यों बाकी के लोग चुप रहें .
वर्तमान स्थिति
यादव जी का यह कारनामा सिर्फ नोएडा में चल रहा हो यह बात नहीं हैं देश के तमाम दफ्तरों में यादव जी नाम बदल-बदल कर बैठे हैं. जो जनता का खून मच्छर की तरह चूस रहें हैं और खुद मोटे होते जाते हैं. लोग शिकायत कर-करके थक जाते हैं और फिर जैसा हो रहा है उसको ही नियति मान लेते हैं.
अधिकतर राज्यों की बिजली घाटे में है जिसका कारण कटियामारों से ज्यादा विभागीय लापरवाही और घूसखोरी है,लाखों के बिजली के बिल को पैसा लेकर आधा कर दिया जाता हैं. आरटीओ में बिना आवेदक के लाइसेंस बना दिए जाते हैं. एक व्यक्ति को कई राज्यों का लाइसेंस भी बिना-जाँच पड़ताल के दे दिया जाता है.
लगभग हर सड़क पर ओवरलोडिंग वाहन भी पैसे के जोर से चल रहें हैं. पासपोर्ट के लिए जाँच को आई पुलिस को पैसा ना दो तो वह गलत रिपोर्ट लगा देता है . थाने पर बिना पैसा लिए ना तो रिपोर्ट लिखी जाती है और ना ही आपकी बात सुनी जाती है. डॉक्टर साहब पैसा मिलने पर स्वस्थ्य आदमी की मेडिकल रिपोर्ट तैयार कर देता है. बोर्ड ऑफिस में बिना बाबू को पैसा दिए आपकी फाइल आगे नहीं बढ़ती. डेवलपमेंट अथोरिटी भी पैसा पाकर हर नक्शे को पास कर देती हैं जाहे वह साल भर भी ना टिके. लाखों रुपये लेकर पीएमटी परीक्षा पास करा दी जाती है, प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक हो जाते हैं. यादव जी के बच्चे बिना परीक्षा दिए इंजीनियर बन रहे हैं. पीडब्लूडी, एफसीआई, वन-विभाग आदि के किस्से तो हमें पता ही हैं. हमाम में सब नंगे हैं
लगभग हर सड़क पर ओवरलोडिंग वाहन भी पैसे के जोर से चल रहें हैं. पासपोर्ट के लिए जाँच को आई पुलिस को पैसा ना दो तो वह गलत रिपोर्ट लगा देता है . थाने पर बिना पैसा लिए ना तो रिपोर्ट लिखी जाती है और ना ही आपकी बात सुनी जाती है. डॉक्टर साहब पैसा मिलने पर स्वस्थ्य आदमी की मेडिकल रिपोर्ट तैयार कर देता है. बोर्ड ऑफिस में बिना बाबू को पैसा दिए आपकी फाइल आगे नहीं बढ़ती. डेवलपमेंट अथोरिटी भी पैसा पाकर हर नक्शे को पास कर देती हैं जाहे वह साल भर भी ना टिके. लाखों रुपये लेकर पीएमटी परीक्षा पास करा दी जाती है, प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक हो जाते हैं. यादव जी के बच्चे बिना परीक्षा दिए इंजीनियर बन रहे हैं. पीडब्लूडी, एफसीआई, वन-विभाग आदि के किस्से तो हमें पता ही हैं. हमाम में सब नंगे हैं
बर्बाद-ए-गुलिश्तां करने को एक ही उल्लू काफी है
हर डाल पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिश्ता क्या होगा!
क्यों बढ़ रहे हैं मामले
राजनैतिक-प्रशासनिक और आपराधिक गठजोड़ भ्रष्टाचार में वृद्धि के लिए सबसे ज्यादा उत्तरदाई हैं. विभागों में खुलेआम घूसखोरी हो रही है, लेकिन कोई भी जिम्मेदार सरकारी एजेंसी इस पर रोक लगाने के लिए कदम नहीं उठाती है. अखबारों में लगभग हर हफ्ते ही किसी न किसी आर्थिक घोटाले की खबर छपती है, लेकिन आज तक किसी भी घोटालेबाज को सजा नही हुई. चिट-फण्ड, चारा, ताज कॉरिडोर, हवाला, महाराष्ट्र सिंचाई, कोयला, उत्तर प्रदेश का राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाला आदि ऐसे कई घोटाले हैं जिसके आरोपी खुले घूम रहे हैं. यदि सजा मिली भी तो उनकों जिनका रसूख थोड़ा कम था. हर बार सिर्फ मोहरे को पकड़ कर पीठ थपथपा ली गयी और मान लिया गया की हम भ्रष्टाचार मुक्त हो गए जिससे भ्रष्टाचारियों के मन से कानून का डर ख़त्म होता जा रहा है .
प्रभावी कदम
भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे को बहता है. और जब तक टॉप पर बैठे लोगों को अपने काम में ईमानदारी से रहने को मजबूर नहीं किया जाएगा, इस देश का कोई भला नहीं हो सकता. भ्रष्टाचार इस देश को दीमक की तरह चाट रहा है इसलिए भ्रष्ट और घूसखोर सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार करके जेल भेजना चाहिए. बड़े पदों पर काम करने वाले लोगों को अपनी सारी संपत्ति का हिसाब देना चाहिए और उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए. गलत ब्यौरा देने पर भी सख्त सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए.
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