Saturday 4 April 2015

Think About India



प्यार!

महज एक शब्द
अनेक भावनाएं और प्रदर्शन 
कभी मूक कभी सस्वर
दिल का आलोडन-विलोडन भी 

खोया  प्यार में
निर्मम और अबोध
निर्गुण या सगुण
का भान नहीं
अंतहीन पर अन्त्य हीन
से मुक्ति

सकल सागार करुणा आगार
जगतनियंता परमेश्वर
भेद रूप अनेक पर है एक
बुद्धि  विस्तर से परे तर्कातीत
सामने सब  याचक

सुना है! है भूखा मात्र प्रेम का
न धन न ऐश्वर्य का
अकिंचन के पास है क्या?
तेरा सहारा, प्यारा  नाम
और दिल भर कर प्यार


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