Think About India
पता नहीं क्यूँ जब आदमी बहुत बढ़-चढ़ कर बोलने लगता है ईमान, धर्म, मजहब , आदर्श की बातें करने लगता है तो मुझे सुगबुगाहट होने लगती है की वह सपनों की दुनिया में रहना सीख गया है...वह मुर्खता को ही ज्ञान समझ विद्वान दिखने का थोथला लबादा ओढ़े लगता है.... असली ज्ञान दो रोटी है.....वही गीता, कुरान, गुरुग्रंथ, टेस्टामेंट.....सब है......आखिर भूखे पेट न होय भजन गोपाला....
पता नहीं क्यूँ जब आदमी बहुत बढ़-चढ़ कर बोलने लगता है ईमान, धर्म, मजहब , आदर्श की बातें करने लगता है तो मुझे सुगबुगाहट होने लगती है की वह सपनों की दुनिया में रहना सीख गया है...वह मुर्खता को ही ज्ञान समझ विद्वान दिखने का थोथला लबादा ओढ़े लगता है.... असली ज्ञान दो रोटी है.....वही गीता, कुरान, गुरुग्रंथ, टेस्टामेंट.....सब है......आखिर भूखे पेट न होय भजन गोपाला....
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