Wednesday 24 December 2014

आया सैंटा आया, खुशियों के तोहफे लाया


क्रिसमस वैसे तो ईसाई धर्म के अनुयायियों का सबसे बड़ा त्योहार है लेकिन धीरे धीरे अब अन्य धर्मों के लोगों ने भी इसे अपना लिया और अब इसे धूमधाम से मौज-मस्ती के त्यौहार के रूप में मनाने लगे हैं. क्रिसमस आते ही जहाँ एक तरफ बाजारों में दिवाली जैसी रौनक नजर आने लगाती है तो दूसरी तरफ कान्वेंट स्कूलों में इस पर्व पर विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेले आयोजित किये जाने लगते हैं. इस त्यौहार के सर्वव्यापी बनने का सबसे बड़ा कारण शायद सांता क्लाज़ रहा है, जिसने दुनियाभर के बच्चों का मन मोह लिया और हर धर्म के लोगों को क्रिसमस मनाने के लिए प्रेरित किया. 
बच्चे टीवी और विज्ञापन देख कर हमसे पूंछते थे क्या हमारे घर भी सांता आयेगा तो हम भी हा कह दिया करते थे और 24 की रात में जब बच्चे एक पत्र लिखकर अपने जुराब खिड़की से लटका देते थे तो हम भी उनकी बालपन को देखकर उनके जुराबों में गिफ्ट डाल दिया करते थे. आज बच्चे बड़े हो गए हैं और वह हकीकत को जानते हैं पर वह भी अपने बच्चों के लिए हमारे जैसा ही करने लगे हैं. अब तो वह क्रिसमस ट्री और केक भी काटने लगे हैं. इसी तरह शायद हर गैर इसाई घर में क्रिसमस की परंपरा चल रही है.  
क्रिसमस
क्रिसमस शब्‍द का जन्‍म क्राईस्‍टेस माइसे अथवा ‘क्राइस्‍टस् मास’ शब्‍द से हुआ है. ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था. यह प्रभु के पुत्र जीसस क्राइस्‍ट के जन्‍म दिन को याद करने के लिए पूरे विश्‍व में 25 दिसम्‍बर को मनाया जाता है. क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है. ब्रिटेन और अन्य राष्ट्रमंडल देशों में क्रिसमस से अगला दिन यानि 26 दिसम्बर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है. कुछ कैथोलिक देशों में इसे सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहते हैं.


क्राइस्‍ट के जन्‍म के संबंध में नए टेस्‍टामेंट में बताया गया है कि प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत भेजा. गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्‍म देगी तथा बच्‍चे का नाम जीसस रखा जाएगा. व‍ह बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा उसके राज्‍य की कोई सीमाएं नहीं होंगी. बाद में मैरी का विवाह जोसफ से हो गया और देवदूत गैब्रियल ने जोसफ को बताया वह मैरी की देखभाल करे व उसका परित्‍याग न करे. जिस रात को जीसस का जन्‍म हुआ, उस समय लागू नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के लिए रास्‍ते में थे रात में कही जगह ना मिलने पर उन्‍होंने एक अस्‍तबल में शरण ली, जहां मैरी ने आधी रात को जीसस को जन्‍म दिया तथा उसे एक नांद में लिटा दिया. इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्‍म हुआ.

व्हाइट क्रिसमस
क्रिसमस पर ताजा बर्फबारी के पड़ने को हमेशा से ही शुभ माना जाता रहा है. ब्रिटिश शासनकाल के दौरान शिमला में बर्फ के बीच मनाई जाने वाली व्हाइट क्रिसमस के किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. यही वजह है कि व्हाइट क्रिसमस का क्रेज आज भी लोगों में बरकरार है. 22 साल पहले शिमला में क्रिसमस पर ताजा बर्फ पड़ी थी. हालांकि मौसम विभाग ने 25 दिसंबर को मौसम के शुष्क रहने की भविष्यवाणी की है, लेकिन पर्यटकों और स्थानीय लोगों को को दिसंबर के दूसरे हफ्ते में ही शिमला और इसके आसपास अच्छी खासी बर्फबारी से यह उम्मीद बंधी है कि शायद इस दफा कुदरत मेहरबान हो जाए और लम्बे अरसे बाद उन्हें व्हाइट क्रिसमस मनाने का मौका मिल जाए.

कैसे मनाया जाता है
क्रिसमस की पूर्व संध्या पर लोग प्रभु की प्रशंसा में कैरोल गाते हैं क्रिसमस के दिन विश्व भर के गिरजाघरों में प्रभु यीशु की जन्मगाथा की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं और गिरजाघरों में प्रार्थना की जाती है. लोग प्यार व भाईचारे का संदेश देने एक दूसरे के घर जाते हैं दावत करते हैं और एक-दुसरे को शुभकामनाएं व उपहार देते हैं. क्रिसमस का विशेष व्यंजन केक है, केक बिना क्रिसमस अधूरा होता है. बच्‍चे सुंदर रंगीन वस्‍त्र पहने ड्रम्‍स, झांझ-मंजीरों के आर्केस्‍ट्रा के साथ चमकीली छडियां लिए हुए सामूहिक नृत्‍य करते हैं.


क्रिसमस ट्री
क्रिसमस ट्री अपने वैभव के लिए पूरे विश्‍व में लोकप्रिय है. लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर कोने में मिसलटों को टांगते हैं. सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिसे रंगबिरंगी रोशनियों, सितारों, घंटियों, उपहारों, चॉकलेट्स से सजाया जाता है. घर के अंदर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा की शुरूआत मार्टिन लूथर ने की थी और उन्होंने क्रिसमस ट्री के तीन पॉइंट को परमेश्वर के त्रियेक रूप पिता़, पुत्र और पवित्र आत्मा माना था.
सेंटा क्लॉज
सेंट बेनेडिक्टी उर्फ सान्ता क्लॉज़, लाल रंग व सफेद रंग ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है जिसके द्वारा क्रिसमस की रात बच्चों के लिए उपहार लाने की मान्यता है. ऐसी मान्यता है कि सेंटा क्लॉज रेंडियर पर चढ़कर किसी बर्फीले जगह से आते हैं और चिमनियों के रास्ते घरों में प्रवेश करके सभी अच्छे बच्चों के लिए उनके सिरहाने उपहार छोड़ जाते हैं. 
सेंटा क्लॉज की प्रथा संत निकोलस ने चौथी या पांचवी सदी में शुरू की थी. वे एशिया माइनर के बिशप थे और उन्हें बच्चों और नाविकों से बेहद प्यार था. उनका उद्देश्य था कि क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी प्रसन्न रहें.
भारत में प्रसिद्ध चर्च
भारत में गोवा, पच्छिम बंगाल और केरल राज्य में क्रिसमस की काफी धूम रहती है इसके अलावा विभिन्न शहरों की बड़ी चर्चों में भी इस दिन सभी धर्मों के लोग एकत्रित होकर प्रभु यीशु का ध्यान करते हैं. भारत के अधिकांश चर्च ब्रि‍टिश व पुर्तगाली शासन के दौरान स्‍‍थापित किए गए थे. भारत के कुछ बड़े चर्चों मे सेंट जोसफ कैथेड्रिल, और आंध्र प्रदेश का मेढक चर्च, सेंट कै‍थेड्रल, चर्च आफ सेंट फ्रांसिस आफ आसीसि और गोवा का बैसिलिका व बोर्न जीसस, सेंट जांस चर्च इन विल्डंरनेस और हिमाचल में क्राइस्ट  चर्च, सांता क्लांज बैसिलिका चर्च, और केरल का सेंट फ्रासिस चर्च, होली क्राइस्टे चर्च तथा माउन्टच मेरी चर्च महाराष्ट्रा में, तमिलनाडु में क्राइस्टच द किंग चर्च व वेलान्क न्नीक चर्च, और आल सेंट्स चर्च व कानपुर मेमोरियल चर्च उत्तेर प्रदेश आदि हैं जहाँ क्रिसमस में काफी चहल-पहल रहती है.
बड़ा दिन
भारत और इसके पड़ोसी देशों मे इसे बड़ा दिन यानि महत्वपूर्ण दिन कहा जाता है. किसी देश पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिये सबसे अच्छा तरीका है कि वहां की संस्कृति, सभ्यता, धर्म पर अपनी संस्कृति, सभ्यता और धर्म को कायम करो. 210 साल पहले, अंग्रेजों ने भारत में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी. यह वह समय था जब ईसाई धर्म फैलाने की जरूरत थी. उस समय 25 दिसम्बर वह दिन था, जबसे दिन बड़े होने लगते थे. हिन्दुवों में इसके महत्व को भी नहीं नकारा जा सकता था. शायद इसी लिये इसे बड़ा दिन कहा जाने लगा ताकि हिन्दू इसे आसानी से स्वीकार कर लें.


क्रिसमस का महत्त्व
हर त्यौहार का कोई-न-कोई महत्त्व अवश्य होता है वैसे ही क्रिसमस विश्व बंधुत्व और शांति का त्यौहार है. इस त्यौहार का मूल मकसद गरीबों और असहायों की सेवा करना है. सैंटा इसी बात का प्रतीक है. अब एक सांता क्लॉज ढेर सारे उपहार लेकर एक ही रात में दुनिया भर के सभी घरों में तो नहीं पहुँच सकता इसीलिए समाज के सभी छुपे सैंटा को इस दिन बिना किसी स्वार्थ के बाहर आ कर गरीबों की मदद करनी चाहिए और उनके बीच खुशियाँ बाटनी चाहिए. अगर हम किसी एक गरीब, अशहाय, लाचार के  चेहरे पर ख़ुशी ला सके तो हम इस क्रिसमस को सही मायने में मनाने में कामयाब हो सकेंगे. इस काम को करने के लिए आपको अपनी आमदनी और अधिक समय व्यर्थ करने की जरूरत नहीं है आप यह काम अपने घर के अगल-बगल से शुरू कर सकते हैं. आप के घर में अगर कुछ पुराने कपड़े हैं जिन्हे आप इस्तेमाल नही कर रहे हैं, आप उसे किसी मंदिर या गुरूद्वारे में दे सकते हैं ताकि वो किसी गरीब के तन ढकने के काम आ सके और कम से कम इन सर्दियों को बिना किसी तकलीफ के गुजार पांए.
अगर आप के घर में छोटे बच्चे हैं तो आप उन्हे भी सिखांए कि वो अपने पुराने खिलौनों को आपके घर में काम करने वाले गरीब जरूरतमंद को दे दें. अगर आप क्रिसमस देने के लिए उपहार खरीदने का सोच रहे हैं तो आप किसी अनाथ आश्रम या संस्था में बच्चों के हाथ से बने हुए उपहार खरीदें. शायद इस तरह आप इस साल एक नई तरीके से शुरूआत कर सकेंगे, और यकीन मानिए आप तब अगले क्रिसमस का और जोश और उल्लास के साथ स्वागत करेंगे.

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