Sunday 7 December 2014

जब मिलेगा सबका साथ तब होगा सच्चा विकास


भारतीय सरकार द्वारा लागू ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ और ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना’ से यह उम्मीद जगी है की अब भ्रष्टाचार पर लगाम लगने के साथ-साथ जरूरतमंदों को उनके हक़ और अधिकार मिलेंगे और उन्हें पाने के लिए भटकना भी नहीं पड़ेगा. एक तरफ बैंकिंग लाभ होने के कारण लोग अपनी छोटी-छोटी बचतों को इसमें जमा कर पाएंगे और सरकारी सब्सिडी भी सीधे इसी खातों में आ जाएगी.
आइये पहले हम इन दोनों योजनओं के विषय मई जानते हैं-
प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई):   
 प्रधानमंत्री जन धन योजनाकी घोषणा 15 अगस्त, 2014 को तथा इसकी शुरुवात 28 अगस्त, 2014 को भारत के प्रधानमंत्री ने की. यह योजना  वित्तीय समावेश हेतु राष्ट्रीय मिशन के रूप में है और इसका उद्देश देश के प्रत्येक परिवार को बैंकिंग सुविधा के दायरे में लाना है और इस उद्देश की पूर्ति के लिए निःशुल्क बैंक खाते खोले जा रहे हैं.
पीएमजेडीवाई का लक्ष्य: 1. बैंकिंग सुविधाओं तक सब की पहुंच सुनिश्चित करना; 2. वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम; 3. 6 महीने बाद रुपये 5000 की ओवर ड्राफ्ट सुविधा के साथ बुनियादी बैंक खाते और एक लाख रुपए के अंतर्निहित दुर्घटना बीमा कवर के साथ रुपया डेबिट कार्ड और रुपे किसान कार्ड सुविधा  तथा 30 हजार का बीमा भी प्रदान होगा.
देश में वित्तीय समावेश की वर्तमान स्थिति:
 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 24.67 करोड़ परिवारों में से 14.48 करोड़ परिवारों (58.7 प्रतिशत) को वित्तीय सेवाएँ हासिल हैं. 16.78 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 9.14 करोड़ (54.46 प्रतिशत) परिवार बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं. 7.89 करोड़ शहरी परिवारों में से 5.34 करोड़ (67.68 प्रतिशत) परिवारों बैंकिंग सेवा मिल रही हैं. अनुमान है कि ग्रामीण क्षेत्र के छह करोड़ परिवार तथा शहरी क्षेत्र के 1.5 करोड़  परिवारों को कवर किये जाने की जरूरत हैं.
पीएमजेडीवाई से लाभ:
पीएमजेडीवाई के तहत मिलने वाले लाभ खाते को संचालित करने पर ही प्राप्त होंगे. बैंक खाता होने से प्रत्येक परिवार की पहुंच बैंकिंग तथा ऋण सुविधाओं तक होगी और वह कर्जदारों के चंगुल से मुक्त एवं आपात स्थिाति के समय धन के लिए परेशान नहीं होगा. यह भारत के बैंकिंग क्षेत्र को मुनाफा दिलाने के साथ जी.डी.पी. को भी बढ़ाने वाला सिद्ध हो सकता है. लेकिन इससे एक बड़ाफायदा यह होने जा रहा है कि बैंकिंग हर आदमी या कहें कि हर परिवार तक पहुंच जाएगी. एक बड़ी जनसंख्या होने के चलते बड़ी मात्रा में बचत खाते खुलने से एक बड़ाकोष बन सकेगा जिससे अधिक धन भारतीय बाजार में प्रवाहित होगा. इस अभियान के तहत खोले जा रहे एक बचत खाते में कम से कम 100 रुपये भी रहें तो एक बड़ी धनराशि जुटाई जा सकती है इससे धन संयोजन करने के मामले में राज्यों की केंद्र पर निर्भरता थोड़ी सी कम होगी. सुप्तावस्था में पड़ी धनराशि दैनिक संवहन में आएगी तथा अधिक लोग अर्थव्यवस्था में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर पाएंगे. 6 नवम्बर,2014 तक देशभर में 7 करोड़ से अधिक खाते खोल दिए गए थे और इसके माद्यम से 500 करोड़ से अधिक धनराशि बैंकों में एकत्र हो गए हैं.
प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण(डीबीटी) 

प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण योजना के तहत जिन लाभार्थियों के पास आधार कार्ड हैं, उनके पैसे का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में करने का व्यवस्था है. आधार संख्‍या एक विशिष्‍ट पहचान संख्‍या है, जो देश का प्रत्‍येक निवासी बॉयोमीट्रिक और जनसांख्यिकी जानकारी देने पर आधार कार्ड बनवाकर प्राप्‍त कर सकता है. प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण योजना के अंतर्गत एलपीजी और केरोसीन की सब्सिडी, पेंशन राशि, छात्रवृत्ति, रोजगार गारंटी योजना राशि और अन्‍य सरकारी कल्‍याण कार्यक्रमों से संबंधित लाभ राशि लाभार्थियों को सीधे भेजे जाने की व्यवस्था है. लाभार्थी इस राशि का इस्‍तेमाल बाजार से सेवाओं की खरीद के लिए कर सकते हैं.
डीबीटी से लाभ:
प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण की योजना लाभार्थियों को 1.समय पर और तुरंत भुगतान करने पर सहायक है; 2. बहुत सरल और त्रुटिहीन होगी, क्‍योंकि सब्सिडी की राशि आधार कार्ड के आधार पर सीधे लाभार्थियों के खाते में जमा हो जाती है; 3. लीकेज और गलतियों की संभावना बहुत कम है; 4. डुप्लिकेट कार्डो को और गैर-मौजूद लोगों के नाम पर बने कार्डों तथा फर्जी लाभार्थियों के कार्डों को समाप्‍त करने में भी सहायता मिलेगी; 5. माइक्रो-एटीएम मशीनों की सहायता से नकद भुगतान होने से, बड़े पैमाने पर ग्रामीण भारत को वित्‍तीय समग्रता में शामिल किया जा सकेगा; 6. आधार प्रौद्योगिकी की सहायता से प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण की योजना मात्र एक कल्‍याण योजना नहीं रह जायेगी, बल्कि प्रशासनिक सुधार की दृष्टि से यह विश्‍व का सबसे बड़ा प्रयोग होगा.
अनाज, उर्वरक, ईंधन, मशीनरी की सब्सिडी को फिलहाल अभी तक इसके दायरे में नहीं लाया जा सका है, सरकार इसके लिए प्रयासरत है. हालांकि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना को 1 जनवरी, 2013 में शुरू किया गया था और उसमे पेंशन, छात्रवृत्ति, आंगनवाड़ी और एलपीजी योजना को इसमें सम्मिलित किया गया था.  परन्तु कोर्ट ने सभी लाभार्थिओं  के पास बैंक खाते और आधार कार्ड ना होने के चलते प्रत्यक्ष अंतरण पर रोक लगा दी थी.
परन्तु अब जन धन योजना के दो चरणों में क्रमशः इसे प्रत्यक्ष हस्तांतरण की योजनाओं से जोड़े जाने से यह योजना सफल होती दिख रही है. प्रत्यक्ष हस्तांतरण के तहत एलपीजी प्राप्त करने के लिए जहाँ यह योजना लागू की गयी है वहां लाभार्थी को प्रथम तीन महीनों के अंदर सिटीसी फॉर्म भरकर बैंक से लिंक करना होगा और फिर आधार कार्ड बनवाकर आधार संख्या देनी होगी. इसके लिए देश भर में आधार कार्ड बनवाने की व्यवस्था की गयी है. नवम्बर,2014 तक 70 करोड़ से ज्यादा आधार नामांकन किये जा चुके जो कुल जनसंख्या का 57.99% है और सरकार द्वारा 2015 तक 100 करोड़ आधार नामांकन करने का लक्ष्य रखा गया है.

 प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण योजना का मुख्‍य उद्देश्‍य गरीबी उन्‍मूलन, समावेशी विकास और कल्‍याणकारी उपायों को बेहतर ढंग से लागू करना है. इसमें कोई संदेह नहीं कि व्‍यापक भ्रष्‍टाचार, अकुशलता और हेरा-फेरियों के कारण कई कल्‍याण योजनाएं ठप हो चुकी हैं. केन्‍द्र द्वारा देश भर में कमजोर वर्गों की सहायता के लिए विभिन्‍न योजनाओं के अंतर्गत  दो लाख करोड़ रूपये तक की राशि सब्सिडी के रूप में दी जाती है. योजना आयोग की माने तो  सार्वजनिक वितरण प्रणाली इतना भ्रष्ट है कि सब्सिडी वाला 58 प्रतिशत अनाज चिह्नित लाभार्थियों तक नहीं पहुंचता है और एक-तिहाई अनाज कहीं और बेच दिया जाता है. अगर यह पूरी तरह लागू हो सकी तो इससे सरकार की विभिन्‍न कल्‍याण योजनाओं और सब्सिडी वाली अनाज, ईंधन, उर्वरकों और मशीनरियों  की योजनाओं में से बिचौलियों का सफाया हो जायेगा। सभी प्रकार की सब्सिडी को प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण के दायरे में लाने से वित्‍तीय परिदृश्‍य में निश्चित रूप से बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है, जिसकी हमारी अर्थव्‍यवस्‍था को बहुत जरूरत है.


हालांकि योजना के शुरुवाती चरणों में बैंकों, डाकघरों और ऑन लाइन संपर्कों के साथ समस्‍याएं आयेंगी. इन्‍हें हल करना होगा, लेकिन इस योजना के विपरीत कुछ सोचना या प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण की योजना को पूरी तरह छोड़ना अकलमंदी नहीं होगी. अगर यह योजना सफल हो गयी तो ई-बिसनेस में भी वृद्धि होगी और ग्रामीण अंचल भी इसमें सहभागी बन पायेगा. इसमें कृषि मशीनरी और अन्य कृषि संबंधित सब्सिडी, लोन आदि सुविधाओं को भी जोड़ा जाना चाहिए. 

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