Think About India
मन सपने बुनते हैं
ऑंखें उन्हें देखती हैं
शरीर सच करने की कोशिश
पर क्या यह हकीकत है?
शायद पता नहीं?
पर लोग तो यही मानते हैं
लोगों को क्या है ?
पर कहीं एक शून्य पलता है
जाने-अनजाने ही सही
मुझे भी अब लगता है
धरातल का सच कुछ और है
जैसे रंध्रपूर्ण घट भरा हुआ भी रिता है
No comments:
Post a Comment