Think About India
अजीब है बातों का सिलसिला...कभी ऐसा की बोल ही प्रस्फुटित न हों और कभी ऐसा की निर्झरणी मानिंद बहती जाए... कभी सार्थक तो कभी निरर्थक...कभी प्रेम की पींगे तो कभी दुनिया का गम...बातें तब भी थी जब शब्द नहीं थे और बातें तब भी जब धर्म नहीं थे...कहीं बन्दुक से निकली गोली, तो कहीं कमान से छूटे तीर हैं बातें...चाहे तो पलभर में संग्राम करा दे और चाहे तो भक्ति का रस बहा दें...दूसरों को अपना बना लें और अपनों को बेगाना...सत्य, चिरकालिक और अनंत हैं तो सिर्फ बातें...
अजीब है बातों का सिलसिला...कभी ऐसा की बोल ही प्रस्फुटित न हों और कभी ऐसा की निर्झरणी मानिंद बहती जाए... कभी सार्थक तो कभी निरर्थक...कभी प्रेम की पींगे तो कभी दुनिया का गम...बातें तब भी थी जब शब्द नहीं थे और बातें तब भी जब धर्म नहीं थे...कहीं बन्दुक से निकली गोली, तो कहीं कमान से छूटे तीर हैं बातें...चाहे तो पलभर में संग्राम करा दे और चाहे तो भक्ति का रस बहा दें...दूसरों को अपना बना लें और अपनों को बेगाना...सत्य, चिरकालिक और अनंत हैं तो सिर्फ बातें...
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