Think About India
Monday 7 December 2015
गहनतम दुःख
Think About India
गहनतम दुःख
बिना दरवाजे दस्तक
सहसा धमक जाते हैं
फिर छाती है निस्तब्धता
दिमाग फ्यूज हो जाता है
उजूल-फुजूल काम होने लगते हैं
मजमून हाथ नहीं रहता
आदमी बावरा सा लगता है
पर सँभालना, संभल कर बढ़ना
है जिंदगी !
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