Saturday 7 February 2015

पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप

श्री हनुमानएक ऐसा नाम जिससे शायद ही कोई भारतीय परिचित ना हो. देवताओं में सबसे अधिक पूजनीय सकलगुणनिधान हनुमान जी बल, पराक्रम, ऊर्जा, बुद्धि, सेवा, भक्ति के आदर्श देवता के साथ चिरंजीव यानि अमर माने जाते हैं इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा
                   चारो जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा

हनुमान चालीसा की इस चौपाई से साफ झलकता है कि श्री हनुमान ऐसे देवता है, जो हर युग में किसी न किसी रूप, शक्ति और गुणों के साथ जगत के लिए संकटमोचक बनकर मौजूद रहे. सतयुग में वह रुद्र अवतार के रूप में शिव रूप में तो त्रेतायुग में पालन (राम) और संहार(रुद्र) शक्तियों के मिलन से जगत की बुरी और दुष्ट शक्तियों का अंत के रूप में और द्वापरयुग में महाभारत धर्मयुद्ध के समय प्रतीकात्मक रूप में रथ की ध्वजा में उपस्थित रहे, अब कलियुग में ‘'यत्र-यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र-तत्र कृत मस्तकांजलिंअथार्त इष्ट श्रीराम के ध्यान और स्मरण स्थान पर अदृश्य रूप में वह उपस्थित रहते हैं. यही विलक्षण और अद्भुत बात उनके प्रति आस्था और श्रद्धा गहरी करती है.
आज हम भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित और सबसे अधिक पूजनीय श्री हनुमान जी के 16 मंदिरों से रूबरू होंगे. हर मंदिर की अपनी एक खास विशेषता है. कोई मंदिर अपनी प्राचीनता की लिये तो कोई  भव्यता के लिए जबकि कई अनोखी हनुमान मूर्त्तियों के लिए प्रसिद्द हैं. जैसे-इलाहबाद के हनुमान मंदिर में देशभर में एकमात्र लेटे हुए हनूमानजी की प्रतिमा है तो इंदौर में एकमात्र उलटे हनुमान की प्रतीमा है. रतनपुर में स्त्री-रूपी हनुमान प्रतीमा है तो इससे इतर गुजरात(जामनगर) में बाल हनूमानजी अनोखे रिकॉर्ड क़े कारण गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गए हैं.
1. बँधवा वाला हनुमान मंदिर, इलाहबाद, उत्तर प्रदेश
अकबर किले से सटा बांध के पास स्थित एकमात्र लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा वाला यह एक छोटा किन्तु प्राचीन मंदिर है. इसे बँधवा वाला हनुमान मंदिर या बड़े हनुमान मंदिर के नाम से भी जानते हैं. यहां पर स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा 20 फीट लम्बी है और ऐसी मान्यता है हर साल माँ गंगा इन्हें स्नान कराने के लिए मंदिर तक आती हैं. जब बरसात में संगम क्षेत्र के पानी से सारा क्षेत्र जलमग्न हो जाता है, तब हनुमानजी की इस मूर्ति को अन्यत्र ले जाकर सुरक्षित रख दिया जाता है और उपयुक्त समय आने पर इस प्रतिमा को प्रतिस्थापित जाता है.
2. हनुमानगढ़ी, अयोध्या
भगवान श्रीराम की जन्मस्थली में यहां का सबसे प्रमुख श्रीहनुमान मंदिर हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है और 60 सीढिय़ां चढऩे के बाद श्रीहनुमानजी का मंदिर आता है. इसके दक्षिण में सुग्रीव टीला व अंगद टीला नामक स्थान हैं. इस मंदिर की स्थापना लगभग 300 साल पहले स्वामी अभयारामदासजी ने की थी. मंदिर के चारों ओर निवास योग्य स्थान बने हैं, जिनमें साधु-संत रहते हैं. 
3. सालासर बालाजी हनुमान मंदिर, सालासर, राजस्थान
हनुमानजी का यह मंदिर राजस्थान के चूरू जिले के सालासर गांव में है.  इसलिए सालासर वाले बालाजी के नाम यह मंदिर प्रसिद्ध है. यहाँ हनुमानजी की प्रतिमा दाड़ी व मूंछ युक्त है तथा मंदिर काफी बड़ा है. यहाँ यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशालाएं बनी हुई हैं. इस मंदिर के संस्थापक श्री मोहनदासजी प्रगाढ़  हनुमान भक्त थे. जनश्रुति हैं कि हनुमान जी की यह प्रतिमा एक किसान को खेत जोतते समय मिली थी, जिसे सालासर में सोने के सिंहासन पर स्थापित किया गया है. यहाँ हर साल भाद्रपद, आश्विन, चैत्र एवं वैशाख की पूर्णिमा के दिन विशाल मेला लगता है.
4. हनुमान धारा, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के सीतापुर से तीन मील की दूरी पर यह हनुमान मंदिर स्थापित है. यह स्थान पर्वतमाला के मध्यभाग में स्थित है. पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर पर दो जल के कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है. इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है. इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं. धारा का जल पहाड़ में ही विलीन हो जाता है. उसे लोग प्रभाती नदी या पातालगंगा कहते हैं. इस स्थान के बारे में एक कथा इस प्रकार प्रसिद्ध है कि हनुमानजी श्रीरामचंद्र के बताने पर यहाँ लंका दहन से उत्पन्न शरीर के ताप को मिटाने यहाँ आये थे.
5. श्री संकटमोचन मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है और मंदिर के चारों तरफ एक छोटा सा उपवन है. मंदिर के प्रांगण में श्रीहनुमानजी की दिव्य प्रतिमा स्थापित है जिसमे हनुमानजी दाएं हाथ से भक्तों को अभयदान कर रहे हैं एवं बायां हाथ उनके ह्रदय पर स्थित है. इस मंदिर के समीप ही भगवान श्रीनृसिंह का मंदिर भी स्थापित है. यहां का वातावरण एकांत, शांत एवं उपासकों के लिए दिव्य साधना स्थली के योग्य है. यहाँ प्रत्येक कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हनुमानजी की सूर्योदय के समय विशेष आरती एवं पूजन समारोह और चैत्र पूर्णिमा के दिन श्रीहनुमान जयंती महोत्सव होता है.
6. बेट द्वारका हनुमान दंडी मंदिर, गुजरात
बेट द्वारका से चार मील की दूरी पर मकर ध्वज के साथ में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है. कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी परंतु अब दोनों मूर्तियां एकाकार हो गई हैं. अहिरावण ने भगवान श्रीराम लक्ष्मण को इसी स्थान पर छिपा कर रखा था. जब हनुमानजी श्रीराम-लक्ष्मण को लेने के लिए आए, तब उनका मकरध्वज (मकरध्वज को हनुमानजी का पुत्रमाना गया है, जिनका जन्म हनुमानजी के पसीने द्वारा एक मछली से हुआ था) के साथ घोर युद्ध हुआ. अंत में हनुमानजी ने उसे परास्त कर उसी की पूंछ से उसे बांध दिया. इसी स्मृति में यह मूर्ति स्थापित है.
7. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, मेहंदीपुर, राजस्थान
यह मंदिर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाडिय़ों के बीच बसे मेहंदीपुर नामक स्थान पर है. दो पहाडिय़ों के बीच की घाटी में स्थित होने के कारण इसे घाटा मेहंदीपुर भी कहते हैं. इस मंदिर को करीब 1 हजार साल पुराना बताया जाता है. यहां पर एक बहुत विशाल चट्टान में हनुमान जी की आकृति स्वयं ही उभर आई थी. इसे ही श्री हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है. इनके चरणों में छोटी सी कुण्डी है, जिसका जल कभी समाप्त नहीं होता. यह मंदिर केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में विख्यात है. ऐसा माना जाता है की मंदिर में प्रवेश करते ही ऊपरी बाधा ख़त्म हो जाती है इसलिए ऊपरी बाधाओं के निवारण के लिए मंदिर में आने वालों का तांता लगा रहता है.
8. डुल्या मारुति, पूना, महाराष्ट्र
पूना के गणेशपेठ में स्थित यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है. श्रीडुल्या मारुति का मंदिर संभवत: 350 वर्ष पुराना बताया जाता है. संपूर्ण मंदिर पत्थर से बने होने के कारन काफी आकर्षक और भव्य लगता है. मूल रूप से डुल्या मारुति की मूर्ति एक काले पत्थर पर अंकित है जो पांच फुट ऊंची तथा ढाई से तीन फुट चौड़ी पश्चिम मुखी है और मूर्ति की दाईं ओर श्रीगणेश भगवान की एक छोटी सी मूर्ति स्थापित है. इस मूर्ति की स्थापना श्रीसमर्थ रामदास स्वामी ने की थी, ऐसी मान्यता है.
9. श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर, गुजरात
अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से 12 मील की दूरी पर सारंगपुर में कष्टभंजन (मारुति) हनुमान मंदिर है. महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने इस शिला मूर्ति की प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1905 आश्विन कृष्ण पंचमी के दिन की थी. जनश्रुति है कि प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में श्रीहनुमानजी का आवेश हुआ और यह हिलने लगी. तभी से इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहा जाता है. यह मंदिर स्वामीनारायण सम्प्रदाय का एकमात्र हनुमान मंदिर है.
10. यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर, हंपी, कर्नाटक
बेल्लारी जिले के हंपी नामक नगर में यह हनुमान मंदिर स्थापित है. इस मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमानजी को यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है. विद्वानों के मतानुसार यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी है. आज भी यहां अनेक गुफाएं हैं. इस मंदिर में श्रीराम नवमी के दिन से लेकर तीन दिन तक विशाल उत्सव मनाया जाता है.
11. गिरजाबंध हनुमान मंदिर - रतनपुर - छत्तीसगढ़
बिलासपुर से 25 किमी. दूर रतनपुर या महामाया नगरी है. यहाँ मां महामाया देवी और गिरजाबंध में स्थित हनुमानजी का मंदिर है. खास बात यह है कि विश्व में हनुमान जी का यह अकेला ऐसा मंदिर है जहां हनुमान नारी स्वरूप में हैं.
12. उलटे हनुमान का मंदिर, साँवरे, इंदौर
भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से 30 किमी दूर साँवरे नामक स्थान पर स्थित मंदिर में हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा की जाती है. मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है. इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं. श्रुति है की अहिरावन द्वारा राम और लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक में छिपाए जाने पर यही वह स्थान था जहाँ से हनुमान जी भगवान राम व लक्ष्मण की प्राण रक्षा हेतु पाताल लोक की और गए थे. उस समय हनुमान जी के पाँव आकाश की ओर तथा सर धरती की ओर था जिस कारण से उनके उल्टे रूप की पूजा की जाती है.
13. प्राचीन हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली                                       
यहां महाभारत कालीन श्री हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है. यहाँ पर उपस्थित हनुमान जी स्वयम्भू हैं. बालचन्द्र अंकित शिखर वाला यह मंदिर आस्था का महान केंद्र है. दिल्ली का ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ शहर है, जो यमुना नदी के तट पर पांडवों द्वारा महाभारत-काल में बसाया गया था और पांडवों ने इस शहर में पांच हनुमान मंदिरों की स्थापना की थी.यह मंदिर उन्हीं पांच में से एक है. वायु-पुत्र होने के नाते पांडवों में द्वितीय भीम को हनुमान जी का भाई माना जाता है.
14. श्री बाल हनुमान मंदिर, जामनगर, गुजरात
सन् 1540 में जामनगर की स्थापना के साथ ही स्थापित यह हनुमान मंदिर, गुजरात के गौरव का प्रतीक है. यहाँ पर सन् 1964 से "श्री राम धुनी" का जाप लगातार चलता आ रहा है, जिस कारण इस मंदिर का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है.
15. महावीर हनुमान मंदिर, पटना, बिहार
पटना जंक्शन के ठीक सामने महावीर मंदिर के नाम से श्री हनुमान जी का मंदिर है जिसमें श्रीहनुमान जी संकटमोचन रूप में विराजमान हैं. उत्तर भारत में माँ वैष्णों देवी मंदिर के बाद यहाँ ही सबसे ज्यादा चढ़ावा चढ़ता है. इस मंदिर के अन्तर्गत महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य हॉस्पिटल, महावीर आरोग्य हॉस्पिटल तथा अन्य बहुत से अनाथालय एवं अस्पताल चल रहे हैं.
16. श्री पंचमुख आंजनेयर हनुमान, तमिलनाडू
तमिलनाडू के कुम्बकोनम नामक स्थान पर श्री पंचमुखी आंजनेयर स्वामी जी (श्री हनुमान जी) का बहुत ही मनभावन मठ है. यहाँ पर श्री हनुमान जी की "पंचमुख रूप" में विग्रह स्थापित है. प्रचलित कथाओं के अनुसार जब अहिरावण तथा उसके भाई महिरावण ने श्री राम जी को लक्ष्मण सहित अगवा कर लिया था, तब प्रभु श्रीराम को ढूँढ़ने के लिए हनुमान जी ने पंचमुख रूप धारण कर इसी स्थान से अपनी खोज प्रारम्भ की थी. और फिर इसी रूप में उन्होंने उन अहिरावण और महिरावण का वध भी किया था.

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